लकड़हारा और कुल्हाड़ी
परिचय
हिमाचल की हरी-भरी वादियों में, जहाँ पहाड़ों की चोटियाँ बादलों को चूमती थीं और नदियाँ गीत गाती हुई बहती थीं, एक छोटा-सा गाँव बसा था, जिसका नाम था चंदनपुर। इस गाँव में लोग सादगी और मेहनत से अपनी जिंदगी जीते थे। इन्हीं में से एक था हरिया, एक ईमानदार और मेहनती लकड़हारा। हरिया अपनी मेहनत और सच्चाई के लिए पूरे गाँव में मशहूर था। वह हर दिन जंगल में जाता, लकड़ियाँ काटता और उन्हें बाजार में बेचकर अपने परिवार का पेट पालता।
हरिया के पास एक पुरानी लेकिन मजबूत कुल्हाड़ी थी, जिसे वह अपने पिता से विरासत में मिला था। वह उस कुल्हाड़ी को अपनी सबसे कीमती चीज़ मानता था, क्योंकि उसी से उसकी आजीविका चलती थी। हरिया का जीवन सादा था, लेकिन उसका मन हमेशा संतुष्ट रहता था। वह कभी लालच नहीं करता था और जो कुछ उसे मिलता, उसी में खुश रहता था।
कहानी की शुरुआत
एक दिन, हरिया सुबह-सुबह अपनी कुल्हाड़ी कंधे पर रखकर जंगल की ओर निकला। जंगल के बीच में एक छोटी-सी नदी बहती थी, जिसके किनारे बड़े-बड़े पेड़ थे। हरिया ने एक मोटा पेड़ चुना और लकड़ियाँ काटने लगा। सूरज की गर्मी बढ़ रही थी, और हरिया पसीने से तर-बतर हो गया था। उसने सोचा कि वह नदी के किनारे थोड़ा आराम कर लेगा।
वह नदी के किनारे बैठा और अपनी कुल्हाड़ी को पास में रख दिया। जैसे ही वह पानी से मुँह धोने के लिए झुका, उसका पैर फिसला, और उसकी कुल्हाड़ी नदी में जा गिरी। नदी का पानी गहरा था, और कुल्हाड़ी देखते ही देखते पानी में डूब गई। हरिया घबरा गया। वह चिल्लाया, "हाय! मेरी कुल्हाड़ी! अब मैं क्या करूँगा? यह तो मेरी रोजी-रोटी का एकमात्र साधन थी!"
हरिया उदास होकर नदी के किनारे बैठ गया। उसकी आँखों में आँसू थे, क्योंकि वह जानता था कि बिना कुल्हाड़ी के वह लकड़ियाँ नहीं काट पाएगा, और उसका परिवार भूखा रह जाएगा।
नदी की देवी का प्रकट होना
हरिया की उदासी देखकर नदी की देवी को उस पर दया आ गई। अचानक, नदी का पानी चमकने लगा, और उसमें से एक सुंदर देवी प्रकट हुईं। उनके हाथ में एक चमकती हुई कुल्हाड़ी थी, जो सोने की बनी थी। देवी ने हरिया से पूछा, "लकड़हारे, तुम क्यों उदास हो? क्या तुमने कुछ खोया है?"
हरिया ने हाथ जोड़कर कहा, "माता, मेरी कुल्हाड़ी इस नदी में गिर गई है। वह मेरे लिए बहुत कीमती थी, क्योंकि उसी से मैं अपने परिवार का पेट पालता हूँ।"
देवी ने मुस्कुराते हुए सोने की कुल्हाड़ी दिखाई और पूछा, "क्या यह तुम्हारी कुल्हाड़ी है?"
हरिया ने कुल्हाड़ी को ध्यान से देखा। वह चमकदार और सुंदर थी, लेकिन हरिया ने ईमानदारी से जवाब दिया, "नहीं, माता। यह मेरी कुल्हाड़ी नहीं है। मेरी कुल्हाड़ी तो पुरानी और लोहे की थी।"
देवी ने फिर से पानी में गोता लगाया और इस बार एक चाँदी की कुल्हाड़ी लेकर आईं। उन्होंने पूछा, "क्या यह तुम्हारी कुल्हाड़ी है?"
हरिया ने फिर से सिर हिलाया और कहा, "नहीं, माता। यह भी मेरी कुल्हाड़ी नहीं है। मेरी कुल्हाड़ी साधारण लोहे की थी, न सोने की, न चाँदी की।"
देवी तीसरी बार पानी में गईं और इस बार हरिया की पुरानी लोहे की कुल्हाड़ी लेकर आईं। हरिया की आँखें चमक उठीं। उसने खुशी से कहा, "हाँ, माता! यही मेरी कुल्हाड़ी है!"
ईमानदारी का इनाम
देवी हरिया की ईमानदारी से बहुत प्रसन्न हुईं। उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा, "हरिया, तुम्हारी सच्चाई और ईमानदारी ने मेरा दिल जीत लिया। तुमने लालच नहीं किया और सच बोला। इसलिए, मैं तुम्हें न केवल तुम्हारी कुल्हाड़ी लौटाती हूँ, बल्कि यह सोने और चाँदी की कुल्हाड़ियाँ भी तुम्हें इनाम के रूप में देती हूँ।"
हरिया ने देवी के चरणों में सिर झुकाया और कहा, "माता, आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। मैं केवल अपनी कुल्हाड़ी वापस चाहता था, लेकिन आपने मुझे इतना बड़ा इनाम दिया।"
देवी ने कहा, "हरिया, ईमानदारी हमेशा सर्वोत्तम नीति होती है। जो सच्चा और ईमानदार होता है, उसे जीवन में हमेशा सम्मान और सुख मिलता है।" इतना कहकर देवी अंतर्धान हो गईं।
नया जीवन
हरिया अपनी कुल्हाड़ी और सोने-चाँदी की कुल्हाड़ियाँ लेकर गाँव लौटा। उसने सोने और चाँदी की कुल्हाड़ियाँ बेचकर कुछ धन कमाया, जिससे उसने अपने परिवार के लिए एक छोटा-सा घर बनवाया और अपनी आजीविका को और बेहतर किया। लेकिन वह कभी अपनी सादगी और ईमानदारी नहीं भूला। उसने अपनी पुरानी कुल्हाड़ी से ही लकड़ियाँ काटना जारी रखा, क्योंकि वह जानता था कि उसकी मेहनत और सच्चाई ही उसकी असली ताकत है।
गाँव वाले हरिया की कहानी सुनकर आश्चर्यचकित रह गए। उसकी ईमानदारी की मिसाल पूरे गाँव में फैल गई, और बच्चे-बूढ़े सब उसका सम्मान करने लगे। हरिया का जीवन अब पहले से ज्यादा सुखी और समृद्ध था, लेकिन उसने कभी घमंड नहीं किया। वह हमेशा कहता, "ईमानदारी ही वह खजाना है, जो कभी खत्म नहीं होता।"
निष्कर्ष
यह कहानी हमें सिखाती है कि ईमानदारी सर्वोत्तम नीति है। लालच और बेईमानी हमें क्षणिक सुख दे सकती है, लेकिन सच्चाई और ईमानदारी हमें हमेशा सम्मान और स्थायी सुख देती है। हरिया की तरह, हमें भी अपने जीवन में सच्चाई का रास्ता चुनना चाहिए, क्योंकि यही वह नींव है जो हमें मुश्किलों से निकालती है और हमें सही मायनों में अमीर बनाती है।
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