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दीपावली — जानकारी, कार्यक्रम और शुभ मुहूर्त

 
दीपावली-कार्यक्रम : परम्परा, महत्व एवं इस वर्ष का मुहूर्त


हिंदू धर्म में दीपावली (या दिवाली) अत्यंत उल्लास-पूर्ण त्योहार है, जिसे अंधकार पर प्रकाश की, असत्य पर सत्य की और पतन पर पुनरुत्थान की विजय के रूप में मनाया जाता है। यह केवल धार्मिक अनुष्ठानों का उत्सव नहीं है, बल्कि सामाजिक मेल-जोल, नए आरंभ, समृद्धि एवं परिवार-मिलन का प्रतीक भी है। नीचे इस महान पर्व का विस्तृत वर्णन प्रस्तुत है — इसकी परम्परा, कर्क्रम (कार्यक्रम) तथा इस वर्ष (2025) का शुभ मुहूर्त।

१. दीपावली का ऐतिहासिक तथा धार्मिक महत्व

दीपावली शब्द संस्कृत के दीप (दीया/प्रकाश) तथा आवली (पंक्ति) से बना है — अर्थात् दीयों की पंक्तियाँ। हिन्दू पौराणिक कथाओं एवं लोक-विश्वासों में यह पर्व अनेक अर्थ और कहानियाँ समेटे हुए है:

  • उत्तर भारत में इसे भगवान राम के कैल युद्ध विजय एवं अयोध्या वापसी के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।

  • दक्षिण भारत व कुछ अन्य क्षेत्रों में इसे कृष्ण द्वारा राक्षस नरकासुर के वध की कथा से जोड़कर ‘नरक चतुर्दशी’ के रूप में मनाया जाता है।

  • व्यापार-व्यवसाय में यह नए वर्ष के आरंभ, लेखा-पुस्तकों की पूजा और समृद्धि की कामना का दिन भी माना जाता है।

  • धर्मशास्त्रों में, विशेषकर अन्धकार (अज्ञान) पर प्रकाश (ज्ञान) की विजय का प्रतीक भी है — जहाँ बाहरी दीये जलाए जाते हैं, वहीं आंतरिक अज्ञान के अँधेरे को दूर करने का संकेत भी है।

इस प्रकार, दीपावली केवल बाहरी उल्लास नहीं, बल्कि आंतरिक जागृति, सामाजिक मेल-जोल और आर्थिक समृद्धि का उत्सव है।


२. दीपावली-पंचकल (पांच दिवसीय क्रम)

आज ज़्यादातर भारत में दीपावली लगभग पाँच दिनों तक मनाई जाती है — प्रत्येक दिन का अपना विशेष अर्थ और अनुष्ठान है। 2025 में इन पाँच दिनों का क्रम इस प्रकार है:

क्रमदिनतिथि (2025)मुख्य अनुष्ठान व अर्थ
1धनतेरस18 अक्टूबरधन, स्वास्थ्य व समृद्धि की कामना: धातु-वस्तुएँ, बर्तन आदि खरीदे जाते हैं। 
2छोटी दीपावली / नरक चतुर्दशी19 अक्टूबरनकारात्मकता व अज्ञान के विनाश का प्रतीक: प्रातः स्नान, हल्की आतिशबाजी व दीपों की तैयारी।
3दीपावली (लक्ष्मी‑पूजा)20 अक्टूबरमुख्य दिवस: माँ लक्ष्मी व गणेश की पूजा, दीयों से प्रज्ज्वलन, मिठाई व उपहार।
4गोवर्धन पूजा / अन्नकूट22 अक्टूबरभगवान कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाने की कथा: प्रसाद व अन्नकूट का आयोजन। 
5भाई दूज23 अक्टूबरभाई-बहन के बंधन का उत्सव: बहनें भाई की दीर्घायु व शुभ-समृद्धि की कामना करती हैं।

इस प्रकार, पाँच दिनों की यह यात्रा जीवन के विविध आयामों — धन, आत्म-शुद्धि, भक्ति, कृतज्ञता और पारिवारिक संबंध — को समाहित करती है।


३. 2025 में शुभ मुहूर्त व तिथि-समय

इस वर्ष (2025) के लिए महत्त्वपूर्ण समय एवं तिथि नीचे दिए गए हैं:

  • मुख्य दीपावली-दिन: सोमवार, 20 अक्टूबर 2025। 

  • अमावस्या तिथि (निर्माया चन्द्र-तिथि): 20 अक्टूबर 15:44 PM से 21 अक्टूबर 5:54 AM तक। 

  • लक्ष्मी-पूजा का उत्तम मुहूर्त: शाम 7:08 PM से 8:18 PM (IST)। 

  • प्रदोष काल (शुभ पूजा-काल): 5:58 PM से 8:25 PM तक। 

  • वृषभ-काल (स्थिर लग्न का समय): 7:08 PM से 9:03 PM तक। 

इस तरह यह समय-खिड़की पूजा एवं अनुष्ठानों के लिए विशेष रूप से शुभ मानी जाती है। यदि इस समय में पूजा संभव न हो सके, तो अधिकृत पंचाङ्ग हेतु स्थानीय वैदिक ज्योतिष या पंडित से सलाह लेनी चाहिए।


४. पूजा-विधि एवं कर्क्रम (कार्यक्रम)

दीपावली पर मुख्य रूप से निम्नलिखित क्रम अपनाया जाता है:

  1. स्वच्छता एवं सजावट – पूर्वाह्न में घर-परिसर की सफाई, द्वार पर रंगोली तथा फूल, पत्ते व घिस्यें दीप, बैटरी-लाइट्स आदि से सजावट।

  2. दीयों का प्रज्ज्वलन – सन्ध्याकालीन समय में घर के कोने-कोने व आँगन, बाहर रास्तों पर तेल के दीये या बिजली के लाइट्स जलाए जाते हैं।

  3. माँ लक्ष्मी व गणेश की स्थापना एवं पूजा

    • एक लाल कपड़ा बिछाकर उस पर देवी-देवताओं की मूर्तियाँ/चित्र स्थापित करें।

    • अक्षत (अनाज), फूल, फूलों की माला, धूप-दीप, रत्न-मालाएँ, मिठाई व उपहार आदि समर्पित करें।

    • लक्ष्मी-सुक्‍तम, गणेश मंत्र या आरती पढ़ें।

  4. प्रसाद वितरण एवं आतिशबाजी – पूजा के पश्चात पारिवारिक भोजन, मिठाई वितरण और सुरक्षित आतिशबाजी-आनंद।

  5. भविष्य की कामना एवं शुभारंभ – घर-व्यापार में नए लेखा-पुस्तकों का शुभारंभ, नए सिरे से आरंभ करना बहुत शुभ माना जाता है।

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