🏛️ सुप्रीम कोर्ट का आदेश: क्या हुआ और क्यों?
सुप्रीम कोर्ट ने 15 सितंबर, 2025 को वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के कुछ प्रावधानों पर अंतरिम रोक लगाई। मुख्य प्रावधानों में शामिल हैं:
1. पाँच साल इस्लाम का पालन करने की शर्त: कानून में यह प्रावधान था कि कोई व्यक्ति वक्फ संपत्ति बनाने के लिए कम से कम पाँच साल से इस्लाम का पालन करता हो। अदालत ने इसे अस्पष्ट और मनमाना बताते हुए फिलहाल रोक लगा दी।
2. जिला कलेक्टर को वक्फ संपत्ति की पहचान का अधिकार: इस प्रावधान के तहत जिला कलेक्टर को यह अधिकार दिया गया था कि वह तय करें कि कौन सी संपत्ति वक्फ है। अदालत ने इसे न्यायिक प्रकृति का मामला मानते हुए प्रशासनिक अधिकारी को यह अधिकार देने पर रोक लगाई।
3. वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिम सदस्यों की संख्या पर सीमा: कानून में यह प्रावधान था कि राज्य वक्फ बोर्ड में तीन और केंद्रीय वक्फ परिषद में चार से अधिक गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं हो सकते। अदालत ने इस पर भी रोक लगाई, यह कहते हुए कि यह धार्मिक प्रतिनिधित्व के सिद्धांतों के खिलाफ है।
हालांकि, अदालत ने वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण, प्रबंधन, और पारदर्शिता बढ़ाने जैसे अन्य प्रावधानों को लागू रहने दिया है।
---
🧭 अदालत का दृष्टिकोण: संविधानिकता की प्राथमिकता
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि किसी कानून को असंवैधानिक ठहराना दुर्लभ मामलों में ही उचित है। अदालत ने यह माना कि वक्फ अधिनियम, 2025 के अधिकांश प्रावधान संविधानिक रूप से सही हैं, लेकिन कुछ विशिष्ट प्रावधानों में अस्पष्टता और संभावित भेदभाव के कारण उन पर रोक लगाई गई। अदालत ने यह भी कहा कि इस तरह के मामलों में न्यायिक हस्तक्षेप आवश्यक है ताकि संविधानिक मूल्यों की रक्षा की जा सके।
---
⚖️ राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रियाएँ
इस आदेश के बाद, विभिन्न राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों की प्रतिक्रियाएँ मिश्रित रही हैं:
केंद्र सरकार: केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने अदालत के आदेश को संसद की विधायी शक्ति की पुष्टि के रूप में देखा और इसे सरकार की मंशा की वैधता के रूप में प्रस्तुत किया।
विपक्षी दल: कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने अदालत के आदेश का स्वागत किया और इसे सरकार की "दुष्ट मंशा" के खिलाफ एक बड़ी जीत बताया। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने इसे मुस्लिम अल्पसंख्यकों के धार्मिक अधिकारों की रक्षा के रूप में सराहा।
इससे यह स्पष्ट होता है कि वक्फ अधिनियम, 2025 न केवल कानूनी बल्कि राजनीतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी एक संवेदनशील मुद्दा बन गया है।
---
🏛️ वक्फ बोर्ड की भूमिका और भविष्य
वक्फ बोर्डों की भूमिका और संरचना पर भी अदालत ने महत्वपूर्ण टिप्पणियाँ की हैं:
गैर-मुस्लिम सदस्यता: अदालत ने वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिम सदस्यों की संख्या पर सीमा लगाने के प्रावधान पर रोक लगाई, यह कहते हुए कि यह धार्मिक प्रतिनिधित्व के सिद्धांतों के खिलाफ है।
मुख्य कार्यकारी अधिकारी की नियुक्ति: अदालत ने यह भी कहा कि वक्फ बोर्डों के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप में मुस्लिम व्यक्ति की नियुक्ति प्राथमिकता होनी चाहिए, लेकिन गैर-मुस्लिम को भी नियुक्त किया जा सकता है।
इन निर्णयों से यह संकेत मिलता है कि अदालत वक्फ बोर्डों की संरचना और कार्यप्रणाली में संतुलन बनाए रखने की पक्षधर है, ताकि धार्मिक और प्रशासनिक दोनों पहलुओं की उचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित हो सके।
No comments:
Post a Comment
Please Comment