नेपाल में सोशल मीडिया प्रतिबंध और भ्रष्टाचार विरोधी प्रदर्शनों की गहरी पड़ताल
🧨 विरोध की उत्पत्ति और कारण
नेपाल सरकार ने 4 सितंबर 2025 को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की, यह दावा करते हुए कि ये प्लेटफॉर्म्स नए नियमों के तहत पंजीकरण में विफल रहे हैं। सरकार ने इसे ऑनलाइन अपराध और गलत सूचना के प्रसार को नियंत्रित करने के उपाय के रूप में प्रस्तुत किया। हालांकि, आलोचकों ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला और राजनीतिक असंतोष को दबाने का प्रयास माना। विशेष रूप से, सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो और पोस्टों ने भ्रष्टाचार, राजनीतिक परिवारवाद और सरकारी अधिकारियों की संपत्ति में वृद्धि को उजागर किया, जिससे युवाओं में गहरा आक्रोश उत्पन्न हुआ।
🔥 प्रदर्शनों का विस्तार और हिंसा
8 सितंबर 2025 को काठमांडू, पोखरा, भैरहवा, भरतपुर, इटहरी और दमक जैसे शहरों में हजारों युवाओं ने सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारी संसद भवन की ओर बढ़े, बैरिकेड्स तोड़े और पुलिस से भिड़ गए। पुलिस ने आंसू गैस, पानी की बौछार, रबर की गोलियां और कुछ स्थानों पर लाइव गोलियां चलाईं। काठमांडू के बनेश्वर क्षेत्र में पुलिस की गोलीबारी में कम से कम 14 लोग मारे गए, जबकि 145 से अधिक लोग घायल हुए। कुल मिलाकर, पूरे नेपाल में 19 से अधिक मौतें और 200 से अधिक घायल हुए हैं।
🧑⚖️ प्रदर्शनों के सामाजिक और राजनीतिक आयाम
प्रारंभ में, यह आंदोलन मुख्य रूप से डिजिटल स्वतंत्रता और सोशल मीडिया प्रतिबंधों के खिलाफ था। लेकिन जैसे-जैसे प्रदर्शन बढ़े, यह भ्रष्टाचार, सरकारी लापरवाही और राजनीतिक असमानता के खिलाफ व्यापक जन आंदोलन में बदल गया। प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के इस्तीफे की मांग की और भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्रवाई की अपील की। अम्नेस्ट्री इंटरनेशनल ने नेपाल सरकार से स्वतंत्र जांच और जिम्मेदारी तय करने की मांग की है।
🕊️ अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और डिजिटल अधिकार
सोशल मीडिया पर प्रतिबंध ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर गंभीर प्रश्न उठाए हैं। प्रदर्शनकारियों ने "सोशल मीडिया बंद करो, भ्रष्टाचार नहीं" जैसे नारे लगाए, जो उनके गहरे असंतोष को दर्शाते हैं। सरकार ने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा और गलत सूचना के प्रसार को नियंत्रित करने के उपाय के रूप में प्रस्तुत किया, लेकिन आलोचकों ने इसे लोकतांत्रिक मूल्यों और नागरिक अधिकारों पर हमला माना।
📉 नेपाल की आर्थ
नेपाल की अर्थव्यवस्था पहले ही कई चुनौतियों का सामना कर रही थी, जैसे बेरोजगारी, गरीबी और सरकारी भ्रष्टाचार। सोशल मीडिया पर प्रतिबंध ने युवा वर्ग के लिए सूचना और रोजगार के अवसरों को सीमित कर दिया, जिससे उनकी निराशा और बढ़ गई। युवाओं ने सोशल मीडिया को न केवल संवाद का माध्यम, बल्कि रोजगार, शिक्षा और सामाजिक जागरूकता के लिए भी एक महत्वपूर्ण उपकरण माना।
🌐 अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया और भारत का दृष्टिकोण
अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने नेपाल में हो रही हिंसा और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमले की निंदा की है। भारत ने भी नेपाल में हो रही घटनाओं पर चिंता व्यक्त की है और शांति और संवाद के माध्यम से समस्याओं के समाधान की अपील की है। भारत और नेपाल के बीच ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों को देखते हुए, यह घटनाएँ दोनों देशों के रिश्तों पर भी प्रभाव डाल सकती हैं।
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