मणिपुर में शांति समझौते पर आरएसएस (RSS) ने जताई सहमति – एक नई आशा
हाल ही में मणिपुर में भारत सरकार के गृह मंत्रालय और कुकी समुदाय के बीच एक महत्वपूर्ण शांति समझौता हुआ। वर्षों से चले आ रहे संघर्ष, अस्थिरता और हिंसा के दौर के बाद यह समझौता एक नई आशा लेकर आया है। इस समझौते का उद्देश्य क्षेत्र में स्थायी शांति स्थापित करना, विकास कार्यों को गति देना और सामाजिक सौहार्द को बढ़ावा देना है। इस महत्वपूर्ण पहल पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने सकारात्मक प्रतिक्रिया व्यक्त की है। आरएसएस ने इसे क्षेत्रीय स्थिरता की दिशा में एक स्वागत योग्य कदम बताया है और विश्वास जताया है कि यह समझौता मणिपुर जैसे संवेदनशील क्षेत्र में शांति और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करेगा।
मणिपुर लंबे समय से जातीय तनाव, हिंसा और असंतोष से जूझता रहा है। वहाँ के विभिन्न समुदायों के बीच अविश्वास की दीवारें खड़ी हो गई थीं। विशेष रूप से कुकी और मैतेई समुदायों के बीच राजनीतिक और सामाजिक मतभेद ने स्थिति को और जटिल बना दिया था। ऐसे में यह समझौता न केवल राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि सामाजिक सौहार्द और आर्थिक विकास की दृष्टि से भी मील का पत्थर है। आरएसएस ने कहा है कि समझौते से यह संकेत मिलता है कि संवाद और आपसी समझ से बड़े से बड़ा संकट भी सुलझाया जा सकता है।
आरएसएस ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि लंबे समय से संघर्ष झेल रहे मणिपुर में शांति स्थापित करना केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि पूरे समाज की सामूहिक जिम्मेदारी है। संगठन ने आशा व्यक्त की कि यह समझौता विभिन्न जातीय समुदायों के बीच विश्वास बहाली का कार्य करेगा। उन्होंने कहा कि शांति का वातावरण निर्माण होने से शिक्षा, स्वास्थ्य, बुनियादी ढाँचा और रोजगार जैसे क्षेत्रों में कार्य तेज़ी से आगे बढ़ सकेगा। आरएसएस ने यह भी कहा कि ऐसे प्रयासों से राष्ट्र की एकता मजबूत होगी और समाज में समरसता की भावना विकसित होगी।
समझौते में गृह मंत्रालय ने कुकी समुदाय से संबंधित मुद्दों पर बातचीत कर उनके विकास, सुरक्षा और अधिकारों को लेकर सकारात्मक आश्वासन दिया है। इसमें प्रशासनिक समर्थन, विकास परियोजनाओं में निवेश, युवाओं के लिए कौशल विकास कार्यक्रम, तथा शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार जैसे पहलुओं को शामिल किया गया है। आरएसएस ने इसे स्वागत योग्य कदम बताया और कहा कि सरकार द्वारा किए गए ये प्रयास लंबे समय से चले आ रहे तनाव को कम करने में मदद करेंगे।
आरएसएस के अनुसार शांति समझौता तभी प्रभावी होगा जब स्थानीय समुदाय इसे अपने बीच अपनाए। संगठन ने जनता से अपील की है कि वे आपसी मतभेदों को भुलाकर संवाद और सहयोग का मार्ग अपनाएँ। आरएसएस ने कहा कि समाज में एकता तभी कायम रह सकती है जब लोग एक-दूसरे के साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार करें और राष्ट्रहित में मिलकर काम करें। उन्होंने विश्वास जताया कि मणिपुर के लोग समझौते का स्वागत करेंगे और विकास तथा शांति की दिशा में मिलकर प्रयास करेंगे।
इस समझौते से जुड़े नेताओं ने बताया कि वर्षों की हिंसा और अस्थिरता के बाद अब मणिपुर के लोगों को एक नई शुरुआत का अवसर मिला है। शांति स्थापित होने से पर्यटन, व्यापार और स्थानीय उद्यमों को भी बढ़ावा मिलेगा। आरएसएस ने कहा कि शांति के बिना कोई भी क्षेत्र विकास की राह पर आगे नहीं बढ़ सकता। इसलिए यह समझौता न केवल राजनीतिक समझौता है, बल्कि समाज की बेहतरी की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
विशेषज्ञों का मानना है कि मणिपुर जैसे संवेदनशील क्षेत्र में शांति का स्थापित होना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी आवश्यक है। क्षेत्र में हिंसा की वजह से विकास कार्य बाधित होते हैं और लोग अपने सामान्य जीवन से वंचित रह जाते हैं। आरएसएस ने कहा कि समझौते के माध्यम से आतंक और अविश्वास का वातावरण कम होगा, जिससे प्रशासन को योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू करने का मौका मिलेगा। साथ ही, यह पहल भारत की संघीय व्यवस्था को मजबूत बनाने का भी प्रयास है।
आरएसएस ने यह भी कहा कि यह शांति समझौता अन्य राज्यों के लिए भी उदाहरण बन सकता है। जहाँ भी जातीय तनाव, क्षेत्रीय असंतोष या हिंसा की स्थिति हो, वहाँ संवाद और विश्वास बहाली के जरिए स्थायी समाधान निकाला जा सकता है। उन्होंने कहा कि मणिपुर की सफलता अन्य संघर्षग्रस्त क्षेत्रों को भी प्रेरित करेगी। यह दिखाता है कि हिंसा और नफरत से कुछ हासिल नहीं होता, बल्कि सहयोग और संवाद से ही समाज में संतुलन कायम रहता है।
समाज में शांति और विश्वास बहाली के साथ-साथ यह समझौता युवाओं के लिए भी एक बड़ा अवसर लेकर आया है। आरएसएस ने कहा कि संघर्ष की स्थिति में युवा अपनी ऊर्जा का उपयोग विनाश में करते हैं, लेकिन शांति का वातावरण मिलने पर वे शिक्षा, खेल, विज्ञान और उद्यमिता में अपने कौशल का प्रदर्शन कर सकते हैं। कुकी समुदाय के युवाओं को कौशल विकास योजनाओं में शामिल करके उन्हें आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास किया जाएगा, जिससे क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
आरएसएस ने अपने बयान में यह भी स्पष्ट किया कि शांति का मार्ग आसान नहीं होता। इसके लिए धैर्य, सहानुभूति और दृढ़ निश्चय की आवश्यकता होती है। संगठन ने कहा कि समझौते को सफल बनाने के लिए स्थानीय नेताओं, प्रशासन और नागरिकों को साथ मिलकर कार्य करना होगा। सभी पक्षों को आपसी विश्वास बनाए रखने के लिए नियमित संवाद करना चाहिए ताकि किसी भी तरह की गलतफहमी या असहमति को समय रहते सुलझाया जा सके।
इस पूरे परिप्रेक्ष्य में आरएसएस ने राष्ट्र की एकता को सर्वोच्च प्राथमिकता बताया। संगठन ने कहा कि किसी भी क्षेत्र में संघर्ष हो, उसका समाधान राष्ट्रहित को ध्यान में रखते हुए निकाला जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि देश की विविधता ही उसकी ताकत है और विविधता के बावजूद एकता बनाए रखना हम सभी की जिम्मेदारी है। मणिपुर में हुए शांति समझौते को उन्होंने इस दिशा में उठाया गया एक सकारात्मक कदम बताया।
समझौते के बाद मणिपुर में लोगों में नई ऊर्जा का संचार हुआ है। स्थानीय नेताओं ने आशा जताई है कि हिंसा की घटनाएँ कम होंगी और लोग सामान्य जीवन जी सकेंगे। स्कूल, अस्पताल और अन्य संस्थानों में कार्य सुचारू रूप से चल सकेगा। व्यापारियों ने कहा कि अब वे निवेश के लिए उत्साहित हैं। किसानों ने कहा कि अब वे अपने खेतों में बिना भय के काम कर सकते हैं। महिलाओं ने कहा कि अब वे अपने परिवार की सुरक्षा को लेकर चिंतित नहीं रहेंगी।
आरएसएस ने कहा कि शांति समझौते की सफलता के लिए सबसे महत्वपूर्ण पहलू समाज का समर्थन है। यदि जनता स्वयं इसमें सक्रिय रूप से भाग लेगी तो समझौता दीर्घकालिक रूप से सफल होगा। उन्होंने सभी सामाजिक संगठनों से अपील की कि वे शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण संरक्षण और कौशल विकास के क्षेत्र में मिलकर कार्य करें ताकि मणिपुर का समाज स्थायी रूप से मजबूत बने।
इस पूरे घटनाक्रम से यह स्पष्ट होता है कि संवाद, धैर्य और परस्पर सम्मान से ही शांति संभव है। आरएसएस का समर्थन इस दिशा में एक नैतिक और वैचारिक आधार प्रदान करता है। संगठन ने कहा कि राष्ट्र की शक्ति उसकी एकता में है, और मणिपुर जैसे क्षेत्र में शांति स्थापित करना पूरे देश के लिए लाभकारी है। उन्होंने यह भी कहा कि शांति का वातावरण बने रहने से राष्ट्रीय एकता और विकास को नई गति मिलेगी।
अंत में, आरएसएस ने यह विश्वास व्यक्त किया कि मणिपुर में शांति समझौते के माध्यम से विश्वास और सहयोग की नई नींव रखी जा रही है। यह केवल एक राजनीतिक समझौता नहीं, बल्कि समाज में समरसता, शिक्षा, विकास और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम है। संगठन ने सभी नागरिकों से अपील की कि वे मिलकर शांति और विकास के इस अभियान में भाग लें ताकि मणिपुर देश की एकता और प्रगति का प्रेरणास्त्रोत बन सके।